
डायलिसिस से छुटकारा पाएं
मेटाबोलिक उपचार द्वारा सीरम क्रिएटिनिन कम करें और GFR को बढ़ाएं
किडनी ट्रांसप्लांट की अब जरूरत ही नहीं।
विशेषज्ञों द्वारा प्रमाणित, हमारे चिकित्सा के फायदे।
मेटाबोलिक उपचार द्वारा सीरम क्रिएटिनिन कम करें. किडनी ट्रांसप्लांट की अब जरूरत ही नहीं। किडनी डायलिसिस से छुटकारा पाएं

जीएफआर (GFR) में सुधार
हमारा उपचार गुर्दे की कार्यप्रणाली में सुधार करके जीएफआर में सुधार करता है

क्रिएटिनिन कम करने में सक्षम
हमारे उपचार से किडनी के कार्य प्रणाली में सुधार होता है जिससे क्रिएटिनिन स्वतः घट जाती है.

डायलिसिस से छुटकारा
डायलिसिस की आवश्यकता कम हो जाती है और ज्यादातर मामलों में समाप्त हो जाती है।

ट्रांसप्लांट से बेहतर परिणाम
ट्रांसप्लांट की सफलतादर बहुत ही कम है, उसके बाद दवाईयों के दुष्परिणाम बेहद खतरनाक हैं।
किडनी का नवीनतम उपचार आपकी जिंदगी बदल सकता है
हमारे उपचार से किडनी रोगी इतने स्वस्थ हो जाते हैं कि वह मेहनत-मजदूरी अथवा ड्यूटी ज्वाइन कर पहले की तरह कार्य कर सकते हैं। डायबिटीज, ब्लड प्रेशर इत्यादि में किडनी को फेल होने से बचाया जा सकता है।
Puja Kumari
मेटाबोलिक उपचार ने मुझे डायलिसिस से बचाया। अब मैं अब बेहतर जीवन जी रही हूँ।
मो फ़ैयाज़ आलम
मेटाबोलिक उपचार ने मुझे डायलिसिस से बचाया। और मैं ट्रांसप्लांट के खर्च से भी बच गया। अब मैं अब बेहतर जीवन जी रहा हूँ।
Dilip Sharma
डायलिसिस से छुटकारा मिला मुझे मेटाबोलिक उपचार से। मैं ट्रांसप्लांट के खर्च से भी बच गया। अब मैं अब बेहतर जीवन जी रहा हूँ।
डायलिसिस और ट्रांसप्लांट क्यों है एक असफल पद्धति ?
डायलिसिस अथवा ट्रांसप्लांट उन सामान्य समाधानों में से एक हैं जो किडनी रोगी को उपचार के विकल्प के रूप में दिया जाता है। जाने क्यों ये उपचार पूर्णतः विफल और अव्यवहारिक हैं ?
- किडनी ट्रांसप्लांट एक मैचिंग डोनर से किया जाता है और कई बार शरीर बदले हुए किडनी को अस्वीकार कर देता है, इसके बाद दूसरा ट्रांसप्लांट किया जाता है।
- ट्रांसप्लांट के साथ मरीज को आजीवन दवाओं का सेवन करना पड़ता है जो बहुत मंहगा होता है और उसके कई दुष्प्रभाव होते हैं।
- दूसरी ओर, डायलिसिस जोखिम भरा है और किडनी के साथ-साथ लिवर, हार्ट जैसे ऑर्गन को भी फेल करता है।
- साथ ही, डायलिसिस एक बहुत महंगी प्रक्रिया है, और मरीज को ज्यादा दिन जिन्दा नहीं रख सकता है। डायलिसिस के सहारे अमेरिका में औसतन 3 वर्ष जिन्दा रहते हैं और भारत में औसतन अवधि एक वर्ष से कम है
किडनी ट्रांसप्लांट एक असफल पद्धति क्यों?
Transplant failure rate in USA: 7% failure within 1 year, 17% failure within 3 years, 46% failure within 10 years, 20% re-transplantation rate
प्रायः किडनी फेलियर के मरीज समझते हैं कि ट्रांसप्लांट कराने से वह सामान्य जीवन जी लेंगे परन्तु ऐसा प्रायः नहीं होता. ट्रांसप्लांट उन्हीं लोगों का होता है जो पूर्णतः स्वस्थ हैं, ज्यादातर लोग मसलन 99 % किडनी के मरीज ट्रांसप्लांट के लायक ही नहीं होते.
डायलिसिस से कितने वर्ष जिन्दा रहा जा सकता है, और यह असफल पद्धति क्यों है?
डायलिसिस के सहारे अमेरिका में औसतन 3 वर्ष जिन्दा रहते हैं और भारत में औसतन अवधि एक वर्ष से कम है, जबकि हमारे उपचार से अमेरिका में लोग वर्षों जिन्दा हैं. हमारे उपचार द्वारा किडनी फेलियर को प्रोग्रेस होने से रोका जा सकता है.
हरेक डायलिसिस के साथ किडनी का कुछ अंश खराब हो जाता है. और धीरे-धीरे किडनी पूर्णतः खराब हो जाता है और फिर डायलिसिस की प्रक्रिया बंद करनी पड़ती है.

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किडनी फेलियर में मेटाबोलिक उपचार से बेहतर और कुछ नहीं। इसलिए जल्द से जल्द इस उपचार को शुरू करें और अपने जीवन में उत्साहजनक परिवर्तन का अनुभव करें।
Consultant Experience
Dr. Vijay Raghavan
M.B.B.S., M.D.
Associate Professor, Dept of Community Medicine
Lord Buddha Medical College, Saharsa
His Guide is Thomas N. Seyfried (A scientist at Boston University, USA)
Experiences
- 20 years of experience as clinician and researcher.
- Developed Research Laboratory for IVF and Assisted Reproduction and Molecular Biology.
- Developed Metabolic Treatment for Cancer, Diabetes, Kidney Failure, Autoimmune diseases, Arthritis etc. based on original research by Thomas N. Seyfried.
- Developed Intensive Care (ICU) for serious diseases on the lines of Ayurveda and Naturopathy for better outcomes in serious diseases.
- Developed curative treatments for degenerative diseases like Alzheimer’s Disease, Parkinsonism, SLE, Psoriasis, Diabetes, Autoimmune diseases, CKD, Cancers of the brain, pancreas, liver, intestine, breast and other soft tissues.
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