मेटाबोलिक पद्धति द्वारा हृदयरोग के उपचार के फायदे
- बिना ऑपरेशन अथवा एंजियोप्लास्टी के ब्लॉकेज खुल जाता है.
- दुबारा ब्लॉकेज की संभावना नहीं रहती.
- हृदयाघात की संभावना ना के बराबर.
- जिंदगीभर दवाई खाने की जरूरत नहीं.
- एक ही उपचार से रक्तचाप, डायबिटीज इत्यादि भी स्वतः नियंत्रित हो जाता है.
डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, मोटापा में क्यों मेटाबोलिक उपचार बेहतर है
- हृदयाघात के कारक उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, मोटापा इत्यादि मेटाबोलिक उपचार अपनाने से पूर्णतः नियंत्रित हो जाता है जिससे हृदयघात की संभावना कम हो जाती है.
- कोलेस्ट्रॉल अथवा ट्राइग्लिसराइड को मेटाबोलिक उपचार पूर्णतः नियंत्रित कर देता है जिससे हृदयाघात की संभावना काफी कम हो जाती है.
- जिनलोगों को हृदयाघात हो चुका है उनमें दुबारा हृदयाघात को रोकने में मददगार है मेटाबोलिक उपचार. अमेरिका जैसे देशों में अब मेटाबोलिक उपचार अपनाने से हृदयाघात कम होते हैं.
कोरोनरी आर्टरी डिजीज अथवा ब्लॉकेज (Coronary Artery Blockage)
यह रोग धमनियों में थक्का जमने से होता है जिसे 10% से 99% ब्लॉकेज के रूप में जाना जाता है। मसलन ज्यादा ब्लॉकेज मतलब हृदयाघात की ज्यादा संभावना।
एलॉपथी उपचार के अनुसार धमनियों में थक्का जमने के बाद इसे सिर्फ ऑपरेशन के द्वारा खोला जा सकता है अथवा यूँ कहें कि एंजियोप्लास्टी अथवा स्टंट लगाकर उन धमनियों में पुनः रक्त प्रवाहित किया जाय। धमनियों में रुकावट की वजह कोलेस्ट्रॉल को बताया जाता है और इससे बचाव के लिए कोलेस्ट्रॉल की दवाई दी जाती है। परन्तु इस तरह के उपचार से पुनः हृदयाघात हो जाता है और उस व्यक्ति को नहीं बचाया जा सकता है। ज्यादातर मामलों में व्यक्ति को छाती में दर्द अथवा हफनी आता ही रहता है और उसे किसी तरह का राहत नहीं मिलता है। व्यक्ति अपनी समस्याओं से निजात नहीं पाता और हरदम मौत के साये में जीता है।
ब्लॉकेज का मेटाबोलिक उपचार:
मेटाबोलिक चिकित्सा विज्ञान पर आधारित चिकित्सा है इसके अनुसार धमनियों में inflammation की वजह से कोलेस्ट्रॉल वहां जम जाता है और उसको ब्लॉकेज हो जाता है। आयुर्वेद और नेचुरोपैथी में वर्षों से ब्लॉकेज खोलने की दवा उपलब्ध है और यह लगभग 100% मरीजों में कारगर है। मेटाबोलिक चिकित्सा में उन आयुर्वेदिक और नेचुरोपैथी दवाओं का इस्तेमाल होता है। मेटाबोलिक चिकित्सा की प्रक्रियाएं हैं जिससे inflammation को रोका और ठीक किया जाता है और ब्लॉकेज ठीक कर व्यक्ति की हृदयाघात से बचाया जा सकता है।
कार्डियोमायोपैथी (Cardiomyopathy):
कार्डियोमायोपैथी कई प्रकार के होते हैं जैसे dilated कार्डियोमायोपैथी, hypertrophic कार्डियोमायोपैथी। इस रोग में ह्रदय के मांसपेशी में खराबी आ जाती है और ह्रदय सही तरीके से पंप नहीं कर पाते
एलॉपथी में कार्डियोमायोपैथी एक जेनेटिक रोग है और इसका कोई भी कारगर उपचार संभव नहीं है। ज्यादातर कार्डियोलॉजिस्ट इस रोग में उच्च रक्तचाप की दवा प्लेसिबो की तरह देते हैं। इसका एकमात्र उपचार हार्ट ट्रांसप्लांट है जो किसी दूसरे इंसान को मारकर उसका ह्रदय मरीज में ट्रांसप्लांट करने से संभव हो होता है । क्योंकि हार्ट ट्रांसप्लांट एक गैरकानूनी प्रक्रिया है, इसलिए यह उपचार कोई भी चिकित्सक नहीं कर सकता।
मेटाबोलिक चिकित्सा विज्ञान पर आधारित चिकित्सा है इसके अनुसार कुपोषण अथवा यह कहें पोषक पदार्थों का सही तरह से अब्जॉबप्शन अथवा पाचन नहीं होने से यह रोग होता है। इसमें ह्रदय की मांसपेशियों की शक्ति कम जाती है और मांसपेशियों को उपयुक्त पोषण नहीं मिल पाता है। पोषक तत्व में खासकर मिनरल की कमी होती है। इस चिकित्सा में कार्डियोमायोपैथी ठीक होने वाली बीमारी है। हमने कई लोगों को इस बिमारी से निजात दिलाया है। अब यह बिमारी ठीक हो जाती है। अब आपको निराशा वाली सोच से बचना चाहिए और मेटाबोलिक उपचार अपनाकर कार्डियोमायोपैथी अथवा ह्रदय की माँसपेशोयों को मजबूत बना कर इस रोग से मुक्ति पानी चाहिए.
हार्ट फेलियर (Heart Failure):
ह्रदय की वह अवस्था जिसमें ह्रदय के पम्प करने की क्षमता कम जाती है और व्यक्ति चल-फिर नहीं सकता। शरीर फूल जाता है और दम फूलने से व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।
एलॉपथी में इस रोग का कोई उपचार नहीं है। इसमें सिर्फ दिलासा ही दिया जाता है और व्यक्ति को कुछ नहीं किया जाता। एलॉपथी में प्रायः वेंटीलेटर पर रखकर कुछ दिनों तक के लिए बचाया जा सकता है
मेटाबोलिक चिकित्सा में ऐसे उपाय है जिससे ह्रदय के कार्य करने की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है और हमने कई लोगों को जीवन जीने का बेहतर विकल्प दिया है। इस रोग में हमारा उपचार 60-70 % कारगर है। इस तरह मेटाबोलिक उपचार सभी हृदयरोग में एलॉपथी से बेहतर है।
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