हड्डी, स्पाइन और जोड़ों का MCGT तकनीक द्वारा उपचार
अब जीवनभर दर्द सहने की जरूरत नहीं
मेटाबोलिक कार्टिलेज जनरेशन तकनीक (एमसीजीटी)
कूल्हे, घुटने, उंगलियों और रीढ़ की हड्डी जैसे सभी जोड़ों के मध्य में उपस्थित होते हैं कार्टिलेज। हड्डी के जोड़ों की सभी पुरानी समस्याओं में कार्टिलेज की मुख्य भूमिका होती है।
वर्तमान आर्थोपेडिक अथवा हड्डी के उपचार में उपास्थि या कार्टिलेज संबंधी समस्याओं जैसे जोड़ों का दर्द, जोड़ों के तरल पदार्थ की कमी , वृद्धावस्था के कारण कार्टिलेज की क्षति और रीढ़ से संबंधित समस्याओं का कोई समाधान नहीं है। इन समस्याओं को वर्तमान में घुटने के प्रतिरोपण, इंट्रा -आर्टिकुलर इंजेक्शन और दर्द निवारक दवाओं के लंबे सेवन जैसी तकनीकों द्वारा हल किया जाता है जो इन समस्याओं से जुड़े दर्द और विकृति को हल करने में अक्षम हैं। इसके अलावा ये तकनीकें गुर्दे की विफलता, हृदय की विफलता और स्थायी विकलांगता जैसे विकृति पैदा करती हैं।
डॉ विजय राघवन ने कार्टिलेज की समस्याओं का मेटाबोलिक उपचार विकसित किया है जिसे मेटाबोलिक कार्टिलेज जनरेशन तकनीक (MCGT) कहते हैं।
एमसीजीटी के द्वारा किसी भी उम्र में कार्टिलेज को विकसित किया जा सकता है जिससे घुटना, स्पाइन अथवा किसी भी अन्य जॉइंट अथवा जोड़ की समस्या को ठीक किया जा सकता है।
तकनीक में मरीज को एडमिट करके जॉइंट पर कई तरह के थेरेपी के द्वारा कार्टिलेज विकसित किया जाता है।
यह वृद्धावस्था अथवा अन्य कारणों से घुटने के जोड़ों के दर्द, पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस, कार्टिलेज और लिगामेंट के नुकसान जैसी सभी आर्थोपेडिक बीमारियों का हल कर सकता है।
यह तकनीक रीढ़ की हड्डी की चोट, रीढ़ की हड्डी में अकड़न और पुरानी स्पोंडिलिसिस जैसे सर्वाइकल दर्द, कमर दर्द और डिस्क प्रोलैप्स जैसी समस्याओं को भी हल करती है।
एमसीजीटी क्यों है बेहतर बेहतर उपचार पद्धति

घुटने की समस्याएं
आर्थोपेडिक्स में, डॉक्टर शुरू में दर्द निवारक दवाएं देते हैं फिर इंजेक्शन द्वारा इंट्रा-आर्टिकुलर दवाएं देते हैं और यदि सभी उपचार विफल हो जाते हैं तो वे घुटना बदलवाते हैं।
दर्द निवारक दवाएं गुर्दे की विफलता, दिल का दौरा और पेप्टिक अल्सर का कारण बनती हैं। इंट्रा-आर्टिकुलर इंजेक्शन से जोड़ों में स्थायी विकृति हो जाती है। घुटने रिप्लेसमेंट में ऑपरेटिव जोखिम होता है और ज्यादातर मामलों में दर्द की समस्या का समाधान नहीं होता है। अधिकांश knee Replacement में अधिक असुविधा और दर्द होता है
चूंकि एमसीजीटी कार्टिलेज में बुनियादी दोष को ठीक करता है, इसलिए यह तकनीक घुटने की समस्याओं को बिना किसी दुष्प्रभाव के हल कर सकती है।

रूमेटाइड गठिया
दर्दनिवारक और रोग-संशोधक (Disease Modifying Agents) एजेंट कोई दर्द का निवारण नहीं करते हैं। बल्कि दर्द और विकृति बनी रहती है। इन दवाओं के दुष्प्रभाव होते हैं जैसे दिल का दौरा, गुर्दे की विफलता, एनीमिया आदि।
जबकि एमसीजीटी कार्टिलेज के मूल दोष पर काम करता है और संधिशोथ से जुड़ी सभी समस्याओं का समाधान करता है।

रीढ़ की हड्डी के रोग
रीढ़ की हड्डियाँ कार्टिलेज के माध्यम से जुड़ी हुई हैं। स्टिफनेस, स्पॉन्डिलाइटिस, डिस्क प्रोलैप्स आदि तमाम बीमारियां कार्टिलेज की समस्या के कारण होती हैं।
चूंकि एमसीजीटी कार्टिलेज की बुनियादी समस्याओं को हल करता है, रीढ़ की हड्डी के रोग अब उपचार योग्य हैं।